
संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन, दोनों सदनों की कार्यवाही पुनः आरंभ होने के थोड़ी देर बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
सदनों को स्थगित करने का निर्णय उस समय लिया गया जब केंद्र सरकार और विपक्षी सांसदों के बीच गुरुवार को हुई झड़प को लेकर टकराव जारी था। इस दौरान बी.आर. अंबेडकर पर टिप्पणी को लेकर भाजपा और कांग्रेस सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसी बीच, लोकसभा में जोरदार हंगामे के बीच एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें ‘समानांतर चुनाव’ से संबंधित विधेयकों को एक संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय लोकसभा में मौजूद थे जब सदन की कार्यवाही स्थगित की गई। सदन की बैठक शुरू होते ही विपक्ष के जोरदार नारेबाजी शुरू हो गई।
इस प्रकार संसद का यह शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया, जो अपने प्रारंभ से ही अशांत रहा। जहां शुरुआत अमेरिकी अदालत में अडानी समूह पर लगे आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन से हुई, वहीं बाद में यह कई अन्य मुद्दों तक फैल गया, जिन्हें विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन और एनडीए के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पार्टी ने उठाया। इसके अलावा, ‘इंडिया’ गठबंधन के सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बी.आर. अंबेडकर पर कथित टिप्पणी के खिलाफ विरोध करने का निर्णय लिया, जिसे शाह ने कांग्रेस की “छोटी राजनीति” कहकर खारिज किया।
गुरुवार को राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसक झड़पों के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के गेट पर सांसदों और राजनीतिक दलों द्वारा धरना और प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। “लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी राजनीतिक दल, सांसद, या सांसदों का समूह संसद भवन के गेट पर कोई धरना या प्रदर्शन नहीं करेगा,” संसदीय सूत्रों ने पुष्टि की। यह कदम संसद परिसर के भीतर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच बी.आर. अंबेडकर पर कथित अपमान को लेकर प्रतिद्वंद्वी प्रदर्शनों के बाद उठाया गया।
राज्यसभा को भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया
राज्यसभा को शुक्रवार को तब अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया जब सदन ने समानांतर चुनावों पर संसद की संयुक्त समिति में 12 सदस्यों को नामांकित करने का प्रस्ताव पारित किया।
सदन की सुबह की बैठक में विपक्षी सांसदों के विरोध के कारण हंगामा हुआ और इसे स्थगित कर दिया गया।
सभापति ने सदन के नेता जे.पी. नड्डा, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर गतिरोध समाप्त करने की कोशिश की। दोपहर 12 बजे जब सदन पुनः बैठा, तो सभापति ने विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयकों की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति में उच्च सदन के सदस्यों को नामांकित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत करने को कहा। यह प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया, और राज्यसभा के 12 सदस्यों को संयुक्त समिति में नामांकित किया गया।
सभापति ने अपनी समापन टिप्पणी में कहा कि इस सत्र की उत्पादकता केवल 40.03% रही, और प्रभावी कार्यवाही केवल 43 घंटे और 27 मिनट तक चली।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रदर्शन कर रहे सांसदों से आग्रह किया कि वे भारतीयों के लिए एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि, “भारतीय जनता इन दिनों संसद की कार्यवाही से निराश है। लोग एक ऐसी संसद और सांसद चाहते हैं जो राजनीति से ऊपर उठकर सार्थक बहसों में भाग लें।”
उन्होंने कहा “सांसद के रूप में हम भारत की जनता से तीव्र आलोचना झेल रहे हैं और सही भी है। इन लगातार बाधाओं के कारण हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता का विश्वास धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है”।
सदन को स्थगित करते हुए धनखड़ ने सांसदों को याद दिलाया कि उनकी पहली जिम्मेदारी भारत के लोगों के प्रति है, और संसद में राजनीति करना मुद्दों को उठाने का सही तरीका नहीं है।