
यह दिन हर साल पार्टी द्वारा ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस बार एनडीए के शीर्ष नेता वाजपेयी की विरासत का सम्मान करने के लिए जुटेंगे। मुख्य आयोजन नई दिल्ली में ‘सदैव अटल’ स्मारक पर होगा, जहां एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और गठबंधन सहयोगी दलों के नेता भाग लेंगे।
यह आयोजन केवल वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि नहीं है, बल्कि एनडीए सरकार की एकता और राजनीतिक शक्ति को दिखाने का भी अवसर है। दिनभर के कार्यक्रमों में भाषण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और वाजपेयी के भारतीय राजनीति और समाज में योगदान की समीक्षा शामिल होगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देश में सुशासन के आदर्श के रूप में जाना जाता है। उन्हें समावेशी राजनीति का प्रतीक माना जाता है। उनका छह दशकों का राजनीतिक जीवन पवित्रता, पारदर्शिता और ईमानदारी का प्रतीक है।”
योगी ने आगे कहा, “अटल जी हमेशा कहा करते थे कि सिद्धांतों के बिना राजनीति मृत्यु का फंदा है। उन्होंने छह दशकों तक पार्टी या विपक्ष की चिंता किए बिना मूल्यों और सिद्धांतों के साथ देश और समाज के लिए काम किया। उनके मानक और आदर्श आज भी भारतीय राजनीति के लिए मार्गदर्शक हैं।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “अटल जी के व्यक्तित्व और उनकी अंतरराष्ट्रीय ख्याति से हर कोई परिचित है। अटल जी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को गर्वित किया।” सिंह ने वाजपेयी के साथ केंद्रीय कैबिनेट में काम करने के अनुभव को याद किया।
उन्होंने यह भी कहा, “अटल जी अक्सर लखनऊ के विकास की बात करते थे। उन्होंने लंबे समय तक लखनऊ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और यहीं से सांसद रहते हुए प्रधानमंत्री बने।”
वाजपेयी जी के नेतृत्व के लम्बे कार्यकाल का प्रभाव आज कई क्षेत्रों में देखा जा सकता है। उनके दौर में सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और संचार के क्षेत्र में बड़ी छलांग देखी गई। अटल जी की एनडीए सरकार ने पहली बार प्रौद्योगिकी को आम नागरिकों तक पहुंचाने का गंभीर प्रयास किया।
सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो ‘सर्व शिक्षा अभियान’ जैसे प्रयास यह दर्शाते हैं कि अटल जी ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां आधुनिक शिक्षा गरीब और वंचित वर्गों तक पहुंच सके।
1998 की गर्मियों में वाजपेयी जी के नेतृत्व का एक अद्भुत उदाहरण देखा गया। उनकी सरकार ने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद 11 मई को पोखरण परीक्षण (ऑपरेशन शक्ति) किए। इन परीक्षणों ने भारत की वैज्ञानिक क्षमता को विश्व के सामने प्रस्तुत किया।
उन्होने अपनी आखिरी सांस 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की उम्र में ली |