
8th Pay Commision: दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले, केंद्र सरकार ने गुरुवार, 16 जनवरी 2025 को आठवें वेतन आयोग की स्थापना को मंजूरी दी। यह कदम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारियों के संगठनों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को स्वीकार करने के बाद उठाया गया है। नए आयोग की सिफारिशों का लाभ केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को मिलेगा, जिनमें सेवारत और सेवानिवृत्त रक्षा कर्मी भी शामिल हैं।
क्या कहा केंद्रीय मंत्री ने?
कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठवें वेतन आयोग की नियुक्ति का फैसला लिया है। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति जल्द की जाएगी।” आमतौर पर, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वेतन आयोग का नेतृत्व करते हैं। सातवें वेतन आयोग का नेतृत्व न्यायमूर्ति ए.के. माथुर ने किया था, जिसने 2016 में अपनी सिफारिशें दी थीं।
सातवें वेतन आयोग का अनुभव
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें नवंबर 2016 में लागू की गई थीं। उस समय इसे लागू करने से सरकारी खजाने पर ₹1 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा था। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें भी न केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और राज्य सरकारों के लिए भी महत्वपूर्ण होंगी।
कर्मचारियों और संगठनों की प्रतिक्रिया
इस फैसले का स्वागत करते हुए ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉइज फेडरेशन के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा, “कर्मचारी पिछले एक साल से इस मांग को उठा रहे थे। वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार होने में आमतौर पर दो साल का समय लगता है। इसलिए इसे समय से पहले शुरू करना एक सकारात्मक कदम है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में न्यूनतम वेतन और पेंशन के मानदंडों पर पुनर्विचार जरूरी है। “इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवा, और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतें अब जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी हैं, जिन्हें आयोग को ध्यान में रखना चाहिए।”
सरकार का नीतिगत दृष्टिकोण
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि आयोग की सिफारिशें सातवें वेतन आयोग के कार्यकाल समाप्त होने (2026) से पहले प्राप्त कर ली जाएंगी। सरकार का मानना है कि इस निर्णय से सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार होगा और यह देश की अर्थव्यवस्था को भी गति देगा।
निष्कर्ष
आठवें वेतन आयोग का गठन सरकार की ओर से कर्मचारियों के प्रति सकारात्मक पहल है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि आयोग कब तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा और यह सिफारिशें कितनी प्रभावशाली होंगी।
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